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Wednesday, September 21, 2016

आतंकी हमले के शहीदों को कोटि कोटि नमन

ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?

माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे,

टॉफियाँ खिलोने साथ में भी लाते थे।

गोदी में उठा के खूब खिलखिलाते थे,

हाथ फेर सर पे प्यार भी जताते थे।

पर ना जाने आज क्यूँ वो चुप हो गए,

लगता है की खूब गहरी नींद सो गए।

नींद से पापा उठो मुन्ना बुलाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

फौजी अंकलों की भीड़ घर क्यूँ आई है,

पापा का सामान साथ में क्यूँ लाई है।

साथ में क्यूँ लाई है वो मेडलों के हार ,

आंख में आंसू क्यूँ सबके आते बार बार।

चाचा मामा दादा दादी चीखते है क्यूँ,

माँ मेरी बता वो सर को पीटते है क्यूँ।

गाँव क्यूँ शहीद पापा को बताये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

माँ तू क्यों है इतना रोती ये बता मुझे,

होश क्यूँ हर पल है खोती ये बता मुझे।

माथे का सिन्दूर क्यूँ है दादी पोछती,

लाल चूड़ी हाथ में क्यूँ बुआ तोडती।

काले मोतियों की माला क्यूँ उतारी है,

क्या तुझे माँ हो गया समझना भारी है।

माँ तेरा ये रूप मुझे ना सुहाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

पापा कहाँ है जा रहे अब ये बताओ माँ,

चुपचाप से आंसू बहा के यूँ सताओ ना।

क्यूँ उनको सब उठा रहे हाथो को बांधकर,

जय हिन्द बोलते है क्यूँ कन्धों पे लादकर।

दादी खड़ी है क्यूँ भला आँचल को भींचकर,

आंसू क्यूँ बहे जा रहे है आँख मींचकर।

पापा की राह में क्यूँ फूल ये सजाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

क्यूँ लकड़ियों के बीच में पापा लिटाये है,

सब कह रहे है लेने उनको राम आये है।

पापा ये दादा कह रहे तुमको जलाऊँ मैं,

बोलो भला इस आग को कैसे लगाऊं मैं।

इस आग में समा के साथ छोड़ जाओगे,

आँखों में आंसू होंगे बहुत याद आओगे।

अब आया समझ माँ ने क्यूँ आँसू बहाये थे,

ओढ़ के तिरंगा पापा घर क्यूँ आये थे ।
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आतंकी हमले के शहीदों को कोटि कोटि नमन
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Saturday, September 17, 2016

Jag mein sacho tero naam

Jag mein sacho tero naam,
Hey ram hey ram.

Tu hi mata, tu hi pita hai,
Tu hi to hai radha ka shayam,
Hey ram..

Tu hi bigade, tu hi savare,
Iss jag ke sare kaam,
Hey ram..

Tu antaryami sab ka swami,
Tere charno mein charo dhaam,
Hey ram..

Tu hi jagdata, vishwa vidhata,
Tu hi subah tu hi shaam,
Hey ram..

mane Lalo Dikhae che

Lyrics: Sacha Satsang maaye

Sacha Satsang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che

Sacha Satsang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Sacha Satsang maa
ho ji re mhane lalo dikhae che

Lalo Dikhae mhane Lalo Dikhae che
Lalo Dikhae mhane Lalo Dikhae che

Bhakti na rang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Bhakti na rang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Sacha Satsang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Sacha Satsang maa
ho ji re mhane lalo dikhae che

Hastinapur Gaao che ne Kaurav naaraz che
Hastinapur Gaao che ne Kaurav naaraz che
Hastinapur Gaao che ne Kaurav naaraz che
Hastinapur Gaao che ne Kaurav naaraz che

Draupadi na cheer maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Draupadi na cheer maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Sacha Satsang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Sacha Satsang maa
ho ji re mhane lalo dikhae che

Monday, September 5, 2016

श्रीगणेश चौथ


"रिद्धि दे, सिद्धि दे,
वंश में वृद्धि दे, ह्रदय में ज्ञान दे,
चित्त में ध्यान दे, अभय वरदान दे,
दुःख को दूर कर, सुख भरपूर कर, आशा को संपूर्ण कर,
सज्जन जो हित दे, कुटुंब में प्रीत दे,
जग में जीत दे, माया दे, साया दे, और निरोगी काया दे,
मान-सम्मान दे, सुख समृद्धि और ज्ञान दे,
शान्ति दे, शक्ति दे, भक्ति भरपूर दें..."

आप और आपके परिवार को  श्रीगणेश चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं।

Saturday, September 3, 2016

शिक्षक गाथा

"शुक्र है शिक्षक हूँ"

"शुक्र है शिक्षक हूँ"

नेता नहीं, एक्टर नहीं, रिश्वत खोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ , कुछ और नही...

न मैं स्पाइसजेट में घूमने वाला गरीब हूँ,
न मैं किसी पार्टी के करीब हूँ...

कभी राष्ट्रीयता की बहस में मैं पड़ता नहीं...
मैं जन धन का लूटेरा या टैक्स चोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ कुछ और नहीं...

न मेरे पास मंच पर चिल्लाने का वक्त है ,
न मेरा कोई दोस्त अफज़ल , याकूब का भक्त है...
न मुझे देश में देश से आज़ादी का अरमान है,
न मुझे 2 - 4 पोथे पढ़ लेने का गुमान है..

मेरी मौत पर गन्दी राजनीति नहीं, कोई शोर नही,
शुक्र है शिक्षक हूँ, कुछ और नही ...

मेरे पास मैडल नही वापस लौटाने को,
नक़ली आँसू भी नही बेवजह बहाने को...
न झूठे वादे हैं, न वादा खिलाफी है,
कुछ देर चैन से सो लूँ इतना ही काफी है...

बेशक खामोश हूँ, मगर कमज़ोर नही,
शुक्र है शिक्षक हूँ कुछ और नही..0

मैं और सड़क एक जैसे कहलाते हैं
क्योंकि हम दोनों वहीं रहते है
लेकिन सबको मंजिल तक पहुँचाते हैं,
रोज़ वही कक्षा, वही बच्चे, पर होता मैं कभी बोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ ... कुछ और नहीं.