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Thursday, May 12, 2016

खुद से भी रूठूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं...!!

मै यादों का किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
मै गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

वो पल भर की नाराजगियाँ,
और मान भी जाना पलभर में,
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं...!!

Tuesday, May 10, 2016

यार से ऐसी यारी रख.

यार से ऐसी यारी रख
                दुःख में भागीदारी रख,
चाहे लोग कहें कुछ भी
                 तू तो जिम्मेदारी रख,
वक्त पड़े काम आने का
                 पहले अपनी बारी रख,
मुसीबतें तो आएगी
                 पूरी अब तैयारी रख,
कामयाबी मिले ना मिले
                जंग हौसलों की जारी रख,
बोझ लगेंगे सब हल्के
                मन को मत भारी रख,
मन जीता तो जग जीता
               कायम अपनी खुद्दारी रख ।