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Wednesday, December 7, 2016

*आदमी की औकात !!!!!!*

*बिलकुल सत्य*

एक माचिस की तीली,
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे
कुछ घण्टे में राख.....
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात !!!!*

एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया ,
अपनी सारी ज़िन्दगी ,
परिवार के नाम कर गया।
कहीं रोने की सुगबुगाहट  ,
तो कहीं फुसफुसाहट ,
....अरे जल्दी ले जाओ
कौन रखेगा सारी रात...
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात!!!!*

मरने के बाद नीचे देखा ,
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे .....
कुछ लोग ज़बरदस्त,
तो कुछ  ज़बरदस्ती
रो रहे थे।
नहीं रहा.. ........चला गया..........
चार दिन करेंगे बात.........
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात!!!!!*

बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा ,
सामने अगरबत्ती जलायेगा ,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी ......
अखबार में
अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी.........
बाद में उस तस्वीर पे ,
जाले भी कौन करेगा साफ़...
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात !!!!!!*

जिन्दगी भर ,
मेरा- मेरा- मेरा  किया....
अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जिया ...
कोई न देगा साथ...जायेगा खाली हाथ....
क्या तिनका
ले जाने की भी
है हमारी औकात   ???

*ये है हमारी औकात*  फिर घमंड कैसा ?

Sunday, December 4, 2016

आहिस्ता चल जिंदगी

आहिस्ता  चल  जिंदगी,अभी
कई  कर्ज  चुकाना  बाकी  है
कुछ  दर्द  मिटाना   बाकी  है
कुछ   फर्ज निभाना  बाकी है
                   रफ़्तार  में तेरे  चलने से
                   कुछ रूठ गए कुछ छूट गए
                   रूठों को मनाना बाकी है
                   रोतों को हँसाना बाकी है
कुछ रिश्ते बनकर ,टूट गए
कुछ जुड़ते -जुड़ते छूट गए
उन टूटे -छूटे रिश्तों के
जख्मों को मिटाना बाकी है
                    कुछ हसरतें अभी  अधूरी हैं
                    कुछ काम भी और जरूरी हैं
                    जीवन की उलझ  पहेली को
                    पूरा  सुलझाना  बाकी     है
जब साँसों को थम जाना है
फिर क्या खोना ,क्या पाना है
पर मन के जिद्दी बच्चे को
यह   बात   बताना  बाकी  है
                     आहिस्ता चल जिंदगी ,अभी
                     कई कर्ज चुकाना बाकी    है
                     कुछ दर्द मिटाना   बाकी   है  
                     कुछ  फर्ज निभाना बाकी है !

Saturday, December 3, 2016

तेरे बिन एक पल ना रहूँ

☘🌹🍁☘🌹🍁

     ☘ साँवरिया   ☘
           मुज्ञे एेसी लगन
               तू लगा दे
      कि तेरे बिन एक पल
            ना रहूँ
    दिल में प्रेमवाला दीप
              जला दे
     कि तेरे बिन एक पल
            ना रहूँ
     तुने दिल काे चुराया
           मैंने कुछ ना कहा
     तुने बड़ा तड़पाया
           मैंने कुछ ना कहा
      अब एेसी तू एक
         ज्ञलक दिखा दे
     कि तेरे बिन एक पल
              ना रहूँ
     ☘ मेरे साँवरिया  ☘
 

Saturday, November 19, 2016

*मुझे लड्डू दोनों हाथ चाहिय।*

👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽

*-मैं भारत का नागरिक हूँ,*
*_मुझे लड्डू दोनों हाथ चाहिये।*

*-बिजली मैं बचाऊँगा नहीं,*
*_बिल मुझे माफ़ चाहिये ।*

*-पेड़ मैं लगाऊँगा नहीं,*
*_मौसम मुझको साफ़ चाहिये।*

*-शिकायत मैं करूँगा नहीं,*
*_कार्रवाई तुरंत चाहिये ।*

*-बिना लिए कुछ काम न करूँ,*
*_पर भ्रष्टाचार का अंत चाहिये ।*

*-घर-बाहर कूड़ा फेकूं,*
*_शहर मुझे साफ चाहिये ।*

*-काम करूँ न धेले भर का,*
*_वेतन लल्लनटाॅप चाहिये ।*

*-एक नेता कुछ बोल गया सो*
*_मुफ्त में पंद्रह लाख चाहिये।*

*-लाचारों वाले लाभ उठायें,*
*_फिर भी ऊँची साख चाहिये।*

*-लोन मिले बिल्कुल सस्ता,*
*_बचत पर ब्याज बढ़ा चाहिये।*

*-धर्म के नाम रेवडियां खाएँ,*
*_पर देश धर्मनिरपेक्ष चाहिये।*

*-जाती के नाम पर वोट दे,*
*_अपराध मुक्त राज्य चाहिए।*

*-मैं भारत का नागरिक हूँ ,*
*_मुझे लड्डू दोनों हाथ चाहिय।*
👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽

Wednesday, November 16, 2016

*पहली बार किसी कविता को पढ़कर आंसू आ गए ।*

*पहली बार किसी कविता को पढ़कर आंसू आ गए ।*😔😔

*दुध पिलाया जिसने छाती से निचोड़कर*
*मैं* *"निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।* 😭

*बुढापे का "सहारा,, हूँ* *"अहसास" दिला न सका*
*पेट पर सुलाने वाली को* *"मखमल,* *पर सुला न सका ।* 😭

*वो "भूखी, सो गई "बहू, के "डर, से एकबार मांगकर*
*मैं "सुकुन,, के "दो, निवाले उसे खिला न सका ।*😭

*नजरें उन "बुढी, "आंखों से कभी मिला न सका ।*
*वो "दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।* 😔

*जो हर "जीवनभर" "ममता, के रंग पहनाती रही मुझे*
*उसे "दिवाली  पर दो "जोड़ी, कपडे सिला न सका ।* *😭*

*"बिमार बिस्तर से उसे "शिफा, दिला न सका ।*
*"खर्च के डर से उसे बड़े* *अस्पताल, ले जा न सका ।* 😔

*"माँ" के बेटा कहकर "दम,तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ*,
*"दवाई, इतनी भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका* । 😭

*माँ तो माँ होती हे भाईयों माँ अगर कभी गुस्से मे गाली भी दे तो उसे उसका "Duaa"* *समझकर भूला देना चाहिए*|✨,, ✨

*मैं  यह वादा करता  अगर यह पोस्ट आप दस ग्रुप मे भेजोगे तो कम से कम दो लड़के ईस पोस्ट को पढ कर अपनी माँ के बारे मे सोचेंगे जरुर!!!!!!!!* 😔

Wednesday, October 12, 2016

मंगल मैत्री

💐"मंगल मैत्री"💐

सबका मंगल सबका मंगल
          सबका मंगल होए रे।।
तेरा मंगल तेरा मंगल
          तेरा मंगल होए रे।।

इस धरती पे जितने प्राणी
          सबका मंगल होए रे।।
सबका मंगल सबका मंगल
          सबका मंगल होए रे।।

जल चर थल चर नभ चर
          सब जीवों का मंगल होए रे।।
सबका मंगल सबका मंगल
          सबका मंगल होए रे।।

दृश्य और अदृश्य
          सभी जीवों का मंगल होए रे।
सबका मंगल सबका मंगल
          सबका मंगल होए रे।।

सभी प्राणी सुखी रहें और
          सभी निराम़य होए रे।।
सबका मंगल सबका मंगल
          सबका मंगल होए रे।।

सबका मंगल हो
    सबका कल्याण हो
       सबकी स्वस्ति मुक्ती हो।।

Wednesday, September 21, 2016

आतंकी हमले के शहीदों को कोटि कोटि नमन

ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?

माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे,

टॉफियाँ खिलोने साथ में भी लाते थे।

गोदी में उठा के खूब खिलखिलाते थे,

हाथ फेर सर पे प्यार भी जताते थे।

पर ना जाने आज क्यूँ वो चुप हो गए,

लगता है की खूब गहरी नींद सो गए।

नींद से पापा उठो मुन्ना बुलाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

फौजी अंकलों की भीड़ घर क्यूँ आई है,

पापा का सामान साथ में क्यूँ लाई है।

साथ में क्यूँ लाई है वो मेडलों के हार ,

आंख में आंसू क्यूँ सबके आते बार बार।

चाचा मामा दादा दादी चीखते है क्यूँ,

माँ मेरी बता वो सर को पीटते है क्यूँ।

गाँव क्यूँ शहीद पापा को बताये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

माँ तू क्यों है इतना रोती ये बता मुझे,

होश क्यूँ हर पल है खोती ये बता मुझे।

माथे का सिन्दूर क्यूँ है दादी पोछती,

लाल चूड़ी हाथ में क्यूँ बुआ तोडती।

काले मोतियों की माला क्यूँ उतारी है,

क्या तुझे माँ हो गया समझना भारी है।

माँ तेरा ये रूप मुझे ना सुहाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

पापा कहाँ है जा रहे अब ये बताओ माँ,

चुपचाप से आंसू बहा के यूँ सताओ ना।

क्यूँ उनको सब उठा रहे हाथो को बांधकर,

जय हिन्द बोलते है क्यूँ कन्धों पे लादकर।

दादी खड़ी है क्यूँ भला आँचल को भींचकर,

आंसू क्यूँ बहे जा रहे है आँख मींचकर।

पापा की राह में क्यूँ फूल ये सजाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

क्यूँ लकड़ियों के बीच में पापा लिटाये है,

सब कह रहे है लेने उनको राम आये है।

पापा ये दादा कह रहे तुमको जलाऊँ मैं,

बोलो भला इस आग को कैसे लगाऊं मैं।

इस आग में समा के साथ छोड़ जाओगे,

आँखों में आंसू होंगे बहुत याद आओगे।

अब आया समझ माँ ने क्यूँ आँसू बहाये थे,

ओढ़ के तिरंगा पापा घर क्यूँ आये थे ।
😌😌😌😌😌😌😌
आतंकी हमले के शहीदों को कोटि कोटि नमन
💐💐💐💐💐💐💐

Saturday, September 17, 2016

Jag mein sacho tero naam

Jag mein sacho tero naam,
Hey ram hey ram.

Tu hi mata, tu hi pita hai,
Tu hi to hai radha ka shayam,
Hey ram..

Tu hi bigade, tu hi savare,
Iss jag ke sare kaam,
Hey ram..

Tu antaryami sab ka swami,
Tere charno mein charo dhaam,
Hey ram..

Tu hi jagdata, vishwa vidhata,
Tu hi subah tu hi shaam,
Hey ram..

mane Lalo Dikhae che

Lyrics: Sacha Satsang maaye

Sacha Satsang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che

Sacha Satsang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Sacha Satsang maa
ho ji re mhane lalo dikhae che

Lalo Dikhae mhane Lalo Dikhae che
Lalo Dikhae mhane Lalo Dikhae che

Bhakti na rang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Bhakti na rang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Sacha Satsang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Sacha Satsang maa
ho ji re mhane lalo dikhae che

Hastinapur Gaao che ne Kaurav naaraz che
Hastinapur Gaao che ne Kaurav naaraz che
Hastinapur Gaao che ne Kaurav naaraz che
Hastinapur Gaao che ne Kaurav naaraz che

Draupadi na cheer maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Draupadi na cheer maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Sacha Satsang maaye
ho ji re mhane lalo dikhae che
Sacha Satsang maa
ho ji re mhane lalo dikhae che

Monday, September 5, 2016

श्रीगणेश चौथ


"रिद्धि दे, सिद्धि दे,
वंश में वृद्धि दे, ह्रदय में ज्ञान दे,
चित्त में ध्यान दे, अभय वरदान दे,
दुःख को दूर कर, सुख भरपूर कर, आशा को संपूर्ण कर,
सज्जन जो हित दे, कुटुंब में प्रीत दे,
जग में जीत दे, माया दे, साया दे, और निरोगी काया दे,
मान-सम्मान दे, सुख समृद्धि और ज्ञान दे,
शान्ति दे, शक्ति दे, भक्ति भरपूर दें..."

आप और आपके परिवार को  श्रीगणेश चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं।

Saturday, September 3, 2016

शिक्षक गाथा

"शुक्र है शिक्षक हूँ"

"शुक्र है शिक्षक हूँ"

नेता नहीं, एक्टर नहीं, रिश्वत खोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ , कुछ और नही...

न मैं स्पाइसजेट में घूमने वाला गरीब हूँ,
न मैं किसी पार्टी के करीब हूँ...

कभी राष्ट्रीयता की बहस में मैं पड़ता नहीं...
मैं जन धन का लूटेरा या टैक्स चोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ कुछ और नहीं...

न मेरे पास मंच पर चिल्लाने का वक्त है ,
न मेरा कोई दोस्त अफज़ल , याकूब का भक्त है...
न मुझे देश में देश से आज़ादी का अरमान है,
न मुझे 2 - 4 पोथे पढ़ लेने का गुमान है..

मेरी मौत पर गन्दी राजनीति नहीं, कोई शोर नही,
शुक्र है शिक्षक हूँ, कुछ और नही ...

मेरे पास मैडल नही वापस लौटाने को,
नक़ली आँसू भी नही बेवजह बहाने को...
न झूठे वादे हैं, न वादा खिलाफी है,
कुछ देर चैन से सो लूँ इतना ही काफी है...

बेशक खामोश हूँ, मगर कमज़ोर नही,
शुक्र है शिक्षक हूँ कुछ और नही..0

मैं और सड़क एक जैसे कहलाते हैं
क्योंकि हम दोनों वहीं रहते है
लेकिन सबको मंजिल तक पहुँचाते हैं,
रोज़ वही कक्षा, वही बच्चे, पर होता मैं कभी बोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ ... कुछ और नहीं.

Wednesday, August 10, 2016

*तू क्यों परेशान है*

खुदा तो रिज़क देता है
               कीड़ो को पत्थर में

तू क्यों परेशान है
               हीरे मोती के चक्कर में

उड़ जा आसमान में
               या लगा गोता समन्दर में

तुझे उतना ही मिलेगा
               जितना है तेरे मुकद्दर में

अपनी अंधेरी कब्र को
खुद ही रोशन करने की तय्यारी करले

ए इंसान

आज जिन्दो से कोई वफा नही करता
कल मुर्दो के लिए कोन दुआ करेगा

आईना कुछ ऐसा बना दे ""ए खुदा""

जो चेहरा नहीं नीयत दिखा दे

कदर करनी है
तो जीते जी करो

जनाजा उठाते वक्त तो
नफरत करने वाले भी रो पड़ते है

जिन आँखों को सजदे में
             रोने की आदत हो

वो आँखें कभी अपने
             मुक्कदर पर रोया नहीं करती.

कमाई तो जनाज़े के दिन पता चलेगी

दौलत तो कोई भी कमा लैता हे

ज़माना जब भी मुझे मुश्किल मे डाल देता है.
मेरा ख़ुदा हज़ार रास्ते निकाल देता है....

जमाना आज भी उसकी मिसाल देता है
नेकिया कर के जो दरिया में डाल देता है

अपनी भूख का इलज़ाम उस खुदा को ना दे
वो माँ के पेट में भी बच्चे को पाल देता हैं

Tuesday, July 19, 2016

*आज गुरु पुर्णिमा पर एक कविता*


वो कौन सा है पद ,
जिसे देता ये जहाँ सम्मान ।
वो कौन सा है पद ,
जो करता है देशों का निर्माण ।
वो कौन सा है पद ,
जो बनाता है इंसान को इंसान ।
वो कौन सा है पद ,
जिसे करते है सभी प्रणाम ।
वो कौन सा है पद ,
जिकसी छाया में मिलता ज्ञान ।
वो कौन सा है पद ,
जो कराये सही दिशा की पहचान ।
गुरू है इस पद का नाम ।
मेरा सभी गुरूजनो को शत-शत प्रणाम ।

Tuesday, July 5, 2016

*सातवें वेतन आयोग की सौगात- आ कविता एक वार जरूर वांचो*


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     सातवें वेतन आयोग की सौगात
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किसी को चुपड़ी चार मिली है
                   किसी को केवल भात मिली
सातवें वेतन की मोदी जी
                     ये   कैसी  सौगात  मिली

लम्बा अरसा बीत गया
                        इस वेतन की तैयारी में
जैसे कोई सजनी देख रही
                     साजन की बाट अटारी में
लेकिन जब साजन आये तो
                      आँखों  से  नीर बहाया है
ये कैसी वेतन वृद्धि है कोई
                   समझ  नहीं  कुछ  पाया  है
है यही तुम्हारे अच्छे दिन तो
                     इनको  वापिस  ले  जाओ
केवल इतिहास को दोहरा कर
                   बस  वेतन  वृद्धि  दे  जाओ
मन करता छोड़ नौकरी को
                     मैं भी अब चाय बनाऊँगा
फिर मोदी जी की तरह एक दिन
                        घूम  विदेश  में आऊँगा
चाँद पूर्णिमा का आया है
                  या  फिर  काली  रात  मिली
सातवें वेतन की मोदी जी
                       ये  कैसी  सौगात  मिली

अरुण जेटली जी तुमने ये
                     कैसा  नियम  निकाला  है
वेतन वृद्धि ही गलफांस बना
                    जैसे कोई विषधर काला है
सड़कों पर जाने को तुमने
                      अब कैसी ये मजबूरी की
वेतन वृद्धि दी सबको या
                         सबको बस मजदूरी दी
इतिहास को शर्मसार करके
               उन साठ साल को भुला दिया
मर भी न सकें जी भी न सकें
                इस मीठे जहर को पिला दिया
कोई चाहे कुछ भी बोले 
                     मेरे मन बस में एक पीड़ा है
ये वेतन वृद्धि नहीं ऊँट के
                         मुँह  में  थोड़ा  जीरा  है
विश्वास बहुत था लोगो पर
                        ये तो केवल घात मिली
सातवें वेतन की मोदी जी
                         ये  कैसी सौगात मिली

वेतन वृद्धि नहीं मिले बस
                       इतना काम करा दो तुम
आटे दाल  के भावों को बस
                        फिर से आधे ला दो तुम
हर कर्मचारी के बच्चों को
                 अच्छी शिक्षा दिलवा दो तुम
रहने को आवास सभी को
                   बिना शुल्क मिलवा दो तुम
रेलगाड़ी  के  डिब्बे  में
                  जनरल डिब्बे बढ़वा दो तुम
A C बस में सफर कर सके
                  मासिक  पास  बना  दो  तुम
इतने काम करा दो सबको
                        तब समझेंगे दिन अच्छे
कर्मचारी भी खुश होंगे
                    कहलाओ हितैषी तुम सच्चे
वादे पूरे कर तो या फिर
                        समझेंगे बस बात मिली
सातवें वेतन की मोदी जी
                       ये  कैसी  सौगात  मिली!!

Thursday, May 12, 2016

खुद से भी रूठूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं...!!

मै यादों का किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
मै गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

वो पल भर की नाराजगियाँ,
और मान भी जाना पलभर में,
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं...!!

Tuesday, May 10, 2016

यार से ऐसी यारी रख.

यार से ऐसी यारी रख
                दुःख में भागीदारी रख,
चाहे लोग कहें कुछ भी
                 तू तो जिम्मेदारी रख,
वक्त पड़े काम आने का
                 पहले अपनी बारी रख,
मुसीबतें तो आएगी
                 पूरी अब तैयारी रख,
कामयाबी मिले ना मिले
                जंग हौसलों की जारी रख,
बोझ लगेंगे सब हल्के
                मन को मत भारी रख,
मन जीता तो जग जीता
               कायम अपनी खुद्दारी रख ।         

                             

Saturday, April 30, 2016

माँ अगर कभी गुस्से मे गाली भी दे तो उसे उसका आशी्रवाद समझकर भूला देना चाहिए

पहली बार किसी गज़ल को पढ़कर आंसू आ गए ।
,
शख्सियत, ए 'लख्ते-जिगर, कहला न सका ।
जन्नत,, के धनी "पैर,, कभी सहला न सका ।
.
दुध, पिलाया उसने छाती से निचोड़कर,
मैं 'निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।
.
बुढापे का "सहारा,, हूँ 'अहसास' दिला न सका
पेट पर सुलाने वाली को 'मखमल, पर सुला न सका ।
.
वो 'भूखी, सो गई 'बहू, के 'डर, से एकबार मांगकर,
मैं "सुकुन,, के 'दो, निवाले उसे खिला न सका ।
.
नजरें उन 'बुढी, "आंखों,, से कभी मिला न सका ।
वो 'दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।
.
जो हर "जीवनभर" 'ममता, के रंग पहनाती रही मुझे,
उसे "त्यौहार" पर दो 'जोडे़, कपडे सिला न सका ।
.
"बिमार बिस्तर से उसे 'शिफा, दिला न सका ।
'खर्च के डर से उसे बडे़ अस्पताल, ले जा न सका ।
.
"माँ" के बेटा कहकर 'दम, तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ,
'दवाई, इतनी भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका ।

माँ तो माँ होती है ...
भाईयों माँ अगर कभी गुस्से मे गाली भी दे
तो उसे उसका आशी्रवाद समझकर भूला देना चाहिए|✨,, ✨

Wednesday, April 27, 2016

उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ …

उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ …
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |

लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचौली का …
मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ l

चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक
गिरेबान में अपने ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l

ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हें मुबारक …
मुझे क्या फ़िक्र मैं कश्तियां और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ…

तू जिंदगी को जी, उसे समझने की कोशिश न कर

तू जिंदगी को जी,
उसे समझने की कोशिश न कर

सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन,
उसमे उलझने की कोशिश न कर

चलते वक़्त के साथ तू भी चल,
उसमे सिमटने की कोशिश न कर

अपने हाथो को फैला, खुल कर साँस ले,
अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर

मन में चल रहे युद्ध को विराम दे,
खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर

कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे,
सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर

जो मिल गया उसी में खुश रह,
जो सकून छीन ले वो पाने की कोशिश न कर

रास्ते की सुंदरता का लुत्फ़ उठा,
मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश न कर....

Tuesday, April 19, 2016

तोय कहे गतिशील गुजरात !

🔹गतिशील गुजरात !🔹
अधिकारी वगर ऑफिस चाले
सर्जन वगर होस्पिटल चाले
     तोय कहे गतिशील गुजरात !
शिक्षक वगर शाळा चाले
लांच वगर फाईल न चाले
        तोय कहे गतिशील.......!
पांच गाम वच्चे एक तलाटी
दस गाम वच्चे एक पोलिस
             तोय कहे..............!
मंत्री पाणीनी जेम पैसो बहावे
खेडूत पाणी वगर पसिनो बहावे
            तोय कहे...............!
सी.एम.- पी.एम. हवामां उडे
मजूर - खेडूत करजमां डूबे
            तोय कहे...............!
उद्योगपतिना करज माफ करे
खेडूतोनी मिलकत साफ करे
            तोय कहे...............!
पोताना कौभांड पोतानुं आयोग
पोताना नियमो पोताना निर्णयो
            तोय कहे...............!
उद्योगोनी आयात करे
श्रमजीवीओना कांडा कापे
           तोय कहे................!
पांच वर्ष सुधी कौभांडो करे
पंदर वर्ष सुधी तपास चलावे
          तोय कहे.................!
कर्मचारीने कर्मवीर कही फूलावे
गुंडाओने कार्यकर बनावे
          तोय कहे.................!
प्रजा माटे टेक्स वधारे
पोताना माटे पगार वधारे
   तोय कहे गतिशील गुजरात !

Sunday, April 10, 2016

मनुष्य तू बडा महान् है

धरती की शान तू भारत की सन्तान
तेरी मुठ्ठियों में बन्द तूफ़ान है रे
मनुष्य तू बडा महान है भूल मत
मनुष्य तू बडा महान् है ॥धृ॥

तू जो चाहे पर्वत पहाडों को फोड दे
तू जो चाहे नदीयों के मुख को भी मोड दे
तू जो चाहे माटी से अमृत निचोड दे
तू जो चाहे धरती को अम्बर से जोड दे
अमर तेरे प्राण ---२ मिला तुझको वरदान
तेरी आत्मा में स्वयम् भगवान है रे॥१॥

---मनुष्य तू बडा महान है
नयनो से ज्वाल तेरी गती में भूचाल
तेरी छाती में छुपा महाकाल है
पृथ्वी के लाल तेरा हिमगिरी सा भाल
तेरी भृकुटी में तान्डव का ताल है
निज को तू जान ---२ जरा शक्ती पहचान
तेरी वाणी में युग का आव्हान है रे ॥२॥

----मनुष्य तू बडा महान् है
धरती सा धीर तू है अग्नी सा वीर
तू जो चाहे तो काल को भी थाम ले
पापोंका प्रलय रुके पशुता का शीश झुके
तू जो अगर हिम्मत से काम ले
गुरु सा मतिमान् ---२ पवन सा तू गतिमान
तेरी नभ से भी उंची उडान है रे ॥३॥
---मनुष्य तू बडा महान है

dharatī kī śāna tū bhārata kī santāna
terī muṭhṭhiyoṁ meṁ banda tūfāna hai re
manuṣya tū baḍā mahāna hai bhūla mata
manuṣya tū baḍā mahān hai ||dhṛ||

tū jo cāhe parvata pahāḍoṁ ko phoḍa de
tū jo cāhe nadīyoṁ ke mukha ko bhī moḍa de
tū jo cāhe māṭī se amṛta nicoḍa de
tū jo cāhe dharatī ko ambara se joḍa de
amara tere prāṇa ---2 milā tujhako varadāna
terī ātmā meṁ svayam bhagavāna hai re ||1||

---manuṣya tū baḍā mahāna hai
nayano se jvāla terī gatī meṁ bhūcāla
terī chātī meṁ chupā mahākāla hai
pṛthvī ke lāla terā himagirī sā bhāla
terī bhṛkuṭī meṁ tānḍava kā tāla hai
nija ko tū jāna ---2 jarā śaktī pahacāna
terī vāṇī meṁ yuga kā āvhāna hai re ||2||

----manuṣya tū baḍā mahān hai
dharatī sā dhīra tū hai agnī sā vīra
tū jo cāhe to kāla ko bhī thāma le
pāpoṁkā pralaya ruke paśutā kā śīśa jhuke
tū jo agara himmata se kāma le
guru sā matimān ---2 pavana sā tū gatimāna
terī nabha se bhī uṁcī uḍāna hai re ||3||
---manuṣya tū baḍā mahāna hai

Meaning
Jewel in the crown of Mother Earth, descendant of the great sage Manu, O human, you can hold a storm in your fist. Human life is gifted and great.

If you so wish, you can crush mountains, change the course of rivers, extract nectar from dirt and join the earth to the sky. Your soul is immortal, O blessed one. You are a spark of the Almighty.

There is fire in your eyes, the earth shakes when you walk and Lord Shiva dwells in your heart. O son of Mother Earth, your forehead is like the Himalayan range and in your eyebrows is the beat of the great Tandav dance of Lord Shiva. Know your true nature, realise your power, and your speech can take up the challenge of this ‘yuga’.

You are firm like Earth and heroic like fire. If you so desire, you can stop even death. Sinful destruction will stop and the evil will bow down if you show your courage. You are wise like the Guru and swift like the wind. You can fly even beyond the sky.

Monday, April 4, 2016

रब" ने. नवाजा हमें. जिंदगी. देकर;

हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता,,

"रब"  ने.  नवाजा   हमें.  जिंदगी.  देकर;
और.  हम.  "शौहरत"  मांगते   रह   गये;

जिंदगी  गुजार  दी  शौहरत.  के  पीछे;
फिर   जीने   की  "मौहलत"   मांगते   रह गये।

ये   कफन ,  ये.  जनाज़े,   ये   "कब्र" सिर्फ.  बातें   हैं.  मेरे   दोस्त,,,
वरना   मर   तो   इंसान   तभी   जाता  है जब  याद  करने  वाला  कोई   ना. हो...!!

ये  समंदर   भी.  तेरी   तरह.  खुदगर्ज़ निकला,
ज़िंदा.  थे.  तो.  तैरने.  न.  दिया.  और मर.  गए   तो   डूबने.  न.  दिया . .

क्या.  बात   करे   इस   दुनिया.  की
"हर.  शख्स.  के   अपने.  अफसाने.  हे

जो   सामने.  हे.  उसे   लोग.  बुरा   कहते.  हे,
जिसको.  देखा.  नहीं   उसे   सब   "खुदा".  कहते.   है....

Saturday, March 26, 2016

कोशिशें जारी रखो कुछ कर गुजरने की.

कोशिश करो ,हल निकलेगा
आज नही तो,कल निकलेगा !

अर्जुन के तीर सा निशाना साधो,
जमीन से भी जल निकलेगा !

मेहनत करो ,पौधों को पानी दो,
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा !

ताकत जुटाऔ,हिम्मत को आग दो,
फौलाद का भी बल निकलेगा !

जिंदा रखो दिल मे उम्मीदों को,
समंदर से भी गंगाजल निकलेगा !

कोशिशें जारी रखो कुछ कर गुजरने की ,
जो है,आज थमा थमा सा,वो भी कल चल निकलेगा ॥

आधुनिक युग कविता

🔹नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात!
       बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात!!
🔹पानी आँखों का मरा, मरी शर्म और लाज!
      कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज!!
🔹भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास!
     बहन पराई हो गयी, साली खासमखास!!
🔹मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश!
      बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश!!
🔹बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान!
      पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान!!
🔹पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग!
      मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग!!
🔹फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर!
     पापी करते जागरण, मचा-मचा   कर शोर!
🔹पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप!
     भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप