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Wednesday, August 10, 2016

*तू क्यों परेशान है*

खुदा तो रिज़क देता है
               कीड़ो को पत्थर में

तू क्यों परेशान है
               हीरे मोती के चक्कर में

उड़ जा आसमान में
               या लगा गोता समन्दर में

तुझे उतना ही मिलेगा
               जितना है तेरे मुकद्दर में

अपनी अंधेरी कब्र को
खुद ही रोशन करने की तय्यारी करले

ए इंसान

आज जिन्दो से कोई वफा नही करता
कल मुर्दो के लिए कोन दुआ करेगा

आईना कुछ ऐसा बना दे ""ए खुदा""

जो चेहरा नहीं नीयत दिखा दे

कदर करनी है
तो जीते जी करो

जनाजा उठाते वक्त तो
नफरत करने वाले भी रो पड़ते है

जिन आँखों को सजदे में
             रोने की आदत हो

वो आँखें कभी अपने
             मुक्कदर पर रोया नहीं करती.

कमाई तो जनाज़े के दिन पता चलेगी

दौलत तो कोई भी कमा लैता हे

ज़माना जब भी मुझे मुश्किल मे डाल देता है.
मेरा ख़ुदा हज़ार रास्ते निकाल देता है....

जमाना आज भी उसकी मिसाल देता है
नेकिया कर के जो दरिया में डाल देता है

अपनी भूख का इलज़ाम उस खुदा को ना दे
वो माँ के पेट में भी बच्चे को पाल देता हैं